हिंदी व्याकरण - वाक्य एवं वाक्यों के प्रकार
वाक्य
शब्दो के सार्थक समूह को वाक्य कहते है। वाक्य के दो अंग होते हैं – (1) उद्देश्य (2) विधेय
(1) उद्देश्य:- वाक्य में कार्य करने वाला उद्देश्य होता है। अर्थात कर्ता ही उद्देश्य होता है।
(2) विधेय:- वाक्य में उद्देश्य अर्थात कर्ता के द्वारा जो कार्य किया जाता है, वह विधेय कहलाता है। इसमें –कर्म और क्रिया दोनों होते है, या वाक्य में जब कर्म नहीं होता है तब क्रिया विधेय होती है।
जैसे- राम पुस्तक पढ़ता है। - वाक्य में राम कर्म कारक है और यह कर्म कारक ही उद्देश्य है। तथा पुस्तक कर्म है और पढ़ता है क्रिया है। तो कर्म व क्रिया दोनों विधेय होगे।
वाक्यों के प्रकार-
(अ) बनावट/रचना के आधार पर:-
1. सरल या साधारण वाक्यः- जिस वाक्य में एक उद्देश्य और एक विधेय होता है वह सरल वाक्य होता है।
जैसे-(1) मोहन पुस्तक पढ़ता है।
(2) गाय दूध देती है।
(3) मोहन खाना पकाता है।
(2) मिश्र/मिश्रित वाक्यः- जिस वाक्य में एक मुख्य उपवाक्य तथा दूसरा आश्रित उपवाक्य होता है, उसे मिश्रित वाक्य कहते है। ये वाक्य - कि, क्योकि, ज्यों - त्यों, जैसे-वैसे, जिसे, जिसका, जिसको, चूँकि, इसलिए, ताकि आदि शब्दों से जुडे हुए होते है।
उदाहरण- (1) गाँधी जी ने कहा कि सदा सत्य बोलो।
(2) वह लडकी मिल गई जो मेले में खो गई थी।
(3) मैंने जैसा सुना वह वैसा ही निकला।
(4) जैसी करनी वैसी भरनी।
(5) ऐसा कौन भारतीय होगा जिसने भगत सिंह का नाम नहीं सुना होगा।
3.संयुक्त वाक्य/जटिल वाक्य- जिस वाक्य में दो या दो से अधिक साधारण वाक्य या मिश्रित उपवाक्य या कोई समानिकरण उपवाक्य किसी संयोजक अव्यय द्वारा जुड़ा हुआ हो तो उसे संयुक्त वाक्य कहते है। ये संयुक्त वाक्य किन्तु, परन्तु, लेकिन, अपितु, तथा, यद्यपि, तदापि, या, अथवा और, आदि शब्दों से जुडा़ हुआ हो।
जैसे- (1) कृष्ण और बलराम भाई थे।
(2) राधा रेलवे स्टेशन गई लेकिन रेलगाड़ी जा चुकी थी।
(3) मदारी डमरू बजा रहा था और बन्दरिया नाच रही थी।
(4) मोहन या गोविन्द में से एक अजमेर जाएगा।
(5) मोहन की शादी हो जाती लेकिन लड़की नहीं मिली
(ब) अर्थ के अधार परवाक्य के प्रकारः-
1. विधेयात्मक वाक्यः- जहां कार्य के करने या होने का भाव प्रकट हो रहा हो।
जैसे- (1) मोहन पुस्तक पढ़ रहा है।
(2) गीता खाना बना रही है।
(3) सोहन खेल रहा है।
2. नकारात्मक वाक्यः- जिस वाक्य में कार्य न करने और न होने का भाव प्रकट होता हो।
जैसे- (1) राधा गाना नहीं गाएगी।
(2) गीता रामायण नहीं पढ़ती है।
(3)सीता दूध नहीं पीती है।
3.प्रश्न वाचक वाक्य- जिस वाक्य में प्रश्न किया गया हो उस वाक्य को प्रश्न वाचक वाक्य कहते है।
जैसे- (1) आप खाने में क्या लोगे?
(2) आपके पिताजी क्या करते है?
4. संकेतवाचक:- जब वाक्य मे किसी कार्य के करने या होने का पूर्व संकेत हो ।
जैसे- (1) यदि में परिश्रम करता तो पास हो जाता।
(2) मैं गांव चला जाता तो मेरी शादी हो जाती।
5. संदेहार्थकः- जब वाक्य में किसी कार्य के करने या होने में संदेह या संभावना की गई हो। इन वाक्यों में वाक्य के प्रारंभ में शायद, सम्भव है, लगता है, हो सकता है, आदि शब्द जुडे़ होते है।
जैसेः- (1) शायद कल मैं नहीं आऊगां।
(2) हो सकता है आज में गांव चला जांऊ।
(3) लगता है आज कोई आने वाला है।
(4) सम्भव है आज वर्षा हो जाए।
6. इच्छात्मक वाक्य- जिस वाक्य में कार्य करने की इच्छा का भाव प्रकट होता हो या आशीर्वाद, शुभकामना या बद्दुआ दी जाती हो।
जैसे- (1) खाना खा लेते है।
(2) तुम्हारी यात्रा मंगलमय हो।
(3) तुम दीर्घायु हो।
(4) तुम चिरंजीवी
(5)बुरी नजर वाले तुम्हारे बच्चे जीए ताकि बड़े होकर तुम्हारा खुन पीए।
7. आज्ञार्थकः- जहां वाक्य में कार्य करने की आज्ञा दी जाए या निवेदन किया जाए या आदेश दिया जाए, धमकी दी जाए तो वहां आज्ञार्थक वाक्य होते है।
जैस:- (1) कृपया गंदगी नहीं फैलाए।
(2) इधर आकर बैठो।
(3) आप जा सकते है।
(4) तुम खेलने नहीं जाओगे।
(5) आज खाना नहीं खाओगे।
8.सम्बोधन बोधक:- जहां वाक्य में कार्य करने के लिए सम्बोधित किया जाए अथवा पुकारा जाए।
जैसे- (1) अरे! खाना खा लो।
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