प्रश्नकाल एवं शून्यकाल
प्रश्नकाल – ऐसा माध्यम जिसके द्वारा संसद
कार्यपालिका पर निगरानी एवं नियंत्रण रखती है संसदीय प्रश्न कहलाता है.
प्रश्नों के प्रकार – संसद में निम्न प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं
तारांकित प्रश्न – ये वो प्रश्न है जिनका संसद में मौखिक उत्तर दिया
जाता है इन प्रश्नों के अनुपूरक प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं इन पर तारांक लगाने के
कारण इन्हें तारांकित प्रश्न कहा जाता है.
अतारांकित प्रश्न – इन प्रश्नों का उत्तर मौखिक रूप से न देकर लिखित रूप
से दिया जाता है इन प्रश्नों के अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछे जाते तथा इन पर इन पर
तारांक नहीं होता.
अल्प सूचना प्रश्न - यह प्रश्न किसी अबिलम्बनीय लोक महत्वके मामले से सम्बन्धित होते हैं इनको
साधारण प्रश्न के लिए निर्धारित दस दिन की अवधि से कम से कम अवधि की सूचना देकर पूछा
जा सकता है.
प्रश्नके सम्बन्ध में प्रक्रिया -
प्रत्येक बैठक में प्रथम घंटा प्रश्न पूछने के लिए एवं उनका उत्तर देने के लिए होता है , सामान्य प्रश्न पूछने के लिए कम से कम 10 दिन और अधिकतम 21 दिन की सूचना देना आवश्यक होता है, प्रश्न की सूचना संसदीय महासचिव को लिखित रूप में दी जाती है इसकी सूचना सम्बन्धित मंत्री को देने के कम से कम 5 दिन बाद प्रश्नों की सूची में रखा जाता है कोनसा प्रश्न प्रश्न काल में रखा जाना है तथा कोनसा प्रश्न तारांकित होगा और कोनसा अतारांकित होगा इसका निर्णय सदन का अध्यक्ष या सभापति लेता है, मौखिक रूप से उत्तर देने के लिए एक दिन की प्रश्न सूची में एक सदस्य का केवल एक तारांकित प्रश्न तथा केवल 20 प्रश्न सम्मिलित किये जाते हैं, तथा लिखित उत्तर के लिए प्रश्न सूची में 5 तथा कुल 230 से अधिक प्रश्न सम्मिलित नहीं किये जायेंगे.
शून्यकाल – संसद में प्रश्न काल के ठीक बाद दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक 1 घंटे का शून्यकाल होता है इसमें कोई भी लोक महत्व का विषय उठाया जा सकता है हालाँकि शून्यकाल का नियमो में कोई उल्लेख नहीं है फिर भी शून्यकाल भारतीय संसदीय व्यवस्था में विकसित एक विशिष्ट व्यवस्था है, शून्यकाल में उठाये जाने वाले मामलों की कोई पूर्व सूचना नहीं दी जाती, लेकिन विषय अबिलम्बनीय लोक महत्व के होते हैं .
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