“ भारत में पंचायती राज ”
पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम, विकासखंड और जिला आते हैं भारत में प्राचीन काल
से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्व में रही हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 में राज्यों को पंचायतों के गठन का निर्देश दिया गया हैं । स्वतंत्र भारत में प्रथम बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगदरी गाँव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई ।
पंचायती राज व्यवस्था लागू करने के लिए भारत सरकार ने निम्नलिखित समितियां गठित कीं -
1. बलवंत राय मेहता समिति (1957) - सामुदायिक विकास कार्यक्रम के
कार्यान्वयन की समीक्षा
2. वी.के. राव समिति (1960) - पंचायत संबंधी सांख्यिकी की तर्क संगतता
3. एस.डी मिश्र अध्ययन दल (1961) - पंचायत एवं सहकारिता का अध्ययन
4. वी. ईश्वरण अध्ययन दल (1961) - पंचायत राज प्रशासन का अध्ययन
5. जी. आर. राजगोपाल अध्ययन दल (1962) - न्याय पंचायत के गठन का
अध्ययन
6. दिवाकर समिति (1963) – ग्राम सभा की स्थिति की समीक्षा
7. एम. रामा कृष्णैया अध्ययन दल (1963) - पंचायती राज संस्थाओं की आय-
व्यय गणना का अध्ययन
8. के. संथानम समिति (1963) - पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय प्प्रावधान
एवं स्थिति की समीक्षा
9. के. संथानम समिति (1965) - पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचन की
रूपरेखा संबंधी अध्ययन
10. आर.के. खन्ना अध्ययन दल (1965) - पंचायती राज संस्थाओं के लेखा एवं
अंकेक्षण।
11. जी. रामचंद्रन समिति (1966) - पंचायतों के लिए प्रसिक्षण केन्द्रों की
आवश्यकता पर अध्ययन।
12. वी. रामानाथन अध्ययन दल (1969) -भूमि सुधार उपायों के कार्यान्वयन में
सामुदायिक विकास अभिकरण
एवं पंचायती राज संस्थाओं की
संलिप्तता एवं भूमिका
13. एम. रामा कृष्णैया अध्ययन दल (1972) - पांचवीं पंचवर्षीय योजना में
सामुदायिक विकास एवं पंचायती राज को
प्रमुख उद्धेश्य के रूप में रखना ।
14. दया चौबे समिति (1976) - सामुदायियक विकास एवं पंचायती राज की
समीक्षा ।
15. अशोक मेहता समिति (1977) - पंचायती राज के मूल एवं प्रशासिनक ढांचे
संबंधी तत्व।
16. दांतेवाला समिति (1978) - खंड स्तर पर योजना स्वरुप
17. हनुमंत राव समिति (1984) – जिला स्तरीय योजना का स्वरुप
18. जी. वी. के. राव समिति (1985) – ग्रामीण विकास के लिए प्रशासनिक
समायोजन एवं गरीबी निवारण कार्यक्रम।
19. एल.एम. सिंघवी समिति (1986) - लोकतंत्र एवं विकास के लिए पंचायती
राज संस्थाओं का पुनर्शसक्तिकरण।
20. पी.के. थुगंन समिति (1989) - स्थानीय निकायों की संवैधानिक मान्यता की अनुशंसा ।
उपरोक्त समितियों में सबसे महत्वपूर्ण समितियों की अनुशंसाये निम्नानुसार हैं -
1. बलवंत राय मेहता समिति (1957)
बलवंत राय मेहता समिति का गठन 'पंचायती राज व्यवस्था' को मजबूती प्रदान करने के लिए वर्ष 1956 में बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में किया गया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 1957 में प्रस्तुत कर दी थी। ममिति की सिफारिशों को 1 अप्रैल, 1958 को लागू किया गया।
सन 1957 में योजना आयोग ने बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में " सामुदायिक परियोजनाओं एवं राष्ट्रीय विकास" सेवाओं का अध्ययन दल के रूप में एक समिति बनाई, जिसे यह दायित्व दिया गया की वह उन कारणों का पता करे, जो सामुदायिक विकास कार्यक्रम की संरचना तथा कार्यप्रणाली की सफलता में बाधक थी। मेहता दल ने 1957 के अंत में अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की, जिसके अनुसार-
"लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण और सामुदायिक विकास कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु पंचायती राज व्यवस्था की तुरंत शुरुआत की जानी चाहिए।"
पंचायती राज व्यवस्था को मेहता समिति ने "लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण " का नाम दिया। समिति ने ग्रामीण स्थानीय शासन के लिए त्रिस्तरीय व्यवस्था का सुझाव दिया, जो निम्न प्रकार था |
1. - ग्राम पंचायत
2. खंड- पंचायत समित
3. ज़िला- ज़िला परिषद
उपरोक्त तीनों में सबसे प्रभावकारी खंड निकाय अर्थात् पंचायत समिति को परिकल्पित किया गया। बलवंत राय मेहता की सिफारिश के पश्चात् पंडित जवाहर लाल नेहरू ने राजस्थान के नागौर ज़िले में 2 अक्टूबर, 1959 को भारी जनसमूह के बीच इसका शुभारम्भ किया। 1 नवम्बर, 1959 को आन्ध्र प्रदेश राज्य ने भी इसे लागू कर दिया। धीरे-धीरे यह व्यवस्था सभी राज्यों में लागू कर दी गयी, कुछ राज्यों ने त्रिस्तरीय प्रणाली को अपनाया तो कुछ राज्यों ने द्विस्तरीय प्रणाली को अपनाया ।
2. अशोक मेहता समिति (1977)
अशोक मेहता समिति का गठन दिसम्बर, 1977 ई. में अशोक मेहता की अध्यक्षता में किया गया था। 'बलवंत राय मेहता समिति' की सिफ़ारिशों के आधार पर स्थापित पंचायती राज व्यवस्था में कई कमियाँ उत्पन्न हो गयी थीं, इन कमियों को ही दूर करने तथा सिफ़ारिश करने हेतु 'अशोक मेहता समिति' का गठन किया गया था। अशोक मेहता समिति में 13 सदस्य थे। समिति ने 1978 में अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंप दी, जिसमें पंचायती राज व्यवस्था का एक नया मॉडल प्रस्तुत किया गया था। समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट में केवल 132 सिफ़ारिशें की गयी थीं। इसकी प्रमुख सिफ़ारिशें थीं-
1. राज्य में विकेन्द्रीकरण का प्रथम स्तर ज़िला हो,
2. ज़िला स्तर के नीचे मण्डल पंचायत का गठन किया जाए, जिसमें क़रीब 15000-20000 जनसंख्या एवं 10-15 गाँव शामिल हों,
3. ग्राम पंचायत तथा पंचायत समिति को समाप्त कर देना चाहिए,
4. मण्डल अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष तथा ज़िला परिषद के अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष होना चाहिए,
5. मण्डल पंचायत तथा परिषद का कार्यकाल 4 वर्ष हो,
6. विकास योजनाओं को ज़िला परिषद के द्वारा तैयार किया जाए
· अशोक मेहता समिति की सिफ़ारिशों को अपर्याप्त माना गया और इसे अस्वीकार कर दिया गया
उपरोक्त समितियों की अनुशंसा के आधार पर महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के स्वप्न को वास्तविकता में बदलने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए भारत में पंचायती राज लागू करने के लिए 73 वां संविधान संशोधन (1992) , 25 अप्रैल, 1993 से लागू हुआ , इसके द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया है | 73 वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान के भाग – 9 में अनुच्छेद 243 के अंतर्गत 243 A से 243 M तक अनुच्छेद जोडे गऐ , तथा एक अनुसुची – 11 जोडी गई | अनुसूची – 11 में कुल 29 बिषय हैं जिन पर पंचायतें कानून बना सकती हैं | जो कि निम्न हैं –
1. कृषि जिसमे कृषि विस्तार भी सम्मिलित है
2. भूमि सुधार,भू-सुधार का क्रियान्वयन , भूमि संयोजन एवं मृदा संरक्षण
3. लघु सिंचाई, जल-प्रबंधन एवं वाटरशेड विकास;
4. पशुपालन, डेयरी एवं कुक्कुट पालन,
5. मत्सयन;
6. सामाजिक वानिकी एवं उद्यान वानिकी;
7. लघु वन्य उपज;
8. लघु उद्योग, जिसमे विद्युत का वितरण भी सम्मिलित है;
9. ग्रामीण आवास;
10. खादी, ग्रामीण एवं सूती कपड़ा उद्योग;
11. पेयजल;
12. ईंधन एवं पशुचारा;
13. ग्रामीण विद्युतीकरण;
14. सड़क, पुल, घाट, जलमार्ग , एवं संचार के अन्य साधनों का विकास;
15. गैर-परंपरागत ऊजा_ स्रोत
16. निर्धनता उन्मूलन कार्य
17. शिक्षण जिसमे प्रथमिक एवं माध्यामिक शिक्षण भी सम्मलित हैं
18. तकनीक शिक्षण एवं व्यवसाियक शिक्षण
19. लेखा जांच एवं अनौपचारिक शिक्षा
20. वाचनालय;
21. सांकृितक गितविधयां, एवं;
22. बाजार एवं हाट
23. वा और छता, जिनके अंतर्गत अस्पताल प्राथिमक वाय क और औषधालय भी हैं ।
24. परिवार कल्याण
25. महिला और बाल विकाश
26. समाजिक कल्याण जसके अंतर्गत विकलांग और मानिसक रूप से मंद यय का कयाण भी है।
27. दुर्बल वर्ग का और विशेषतया , अनुसूिचत जातीयों और अनुसूिचत जन जातियों का कल्याण
28. सार्वजानिक विरतनण प्रणाली
29. सामुदाियक आतय का अनुरण
73 वे संविधान संशोधन (1992) अधिनियम के अनुसार पंचायती राज व्यवस्था के तीन स्तर (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति / मध्यवर्ती पंचायत / जनपद पंचायत तथा जिला पंचायत) है। सभी तीनों स्तरों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है |
73वें संशोधन अधिनियम, 1993 में निम्नलिखित प्रावधान किये गये हैं:
1. एक त्रि-स्तरीय ढांचे की स्थापना (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति / मध्यवर्ती पंचायत / जनपद पंचायत तथा जिला पंचायत)
2. ग्राम स्तर पर ग्राम सभा की स्थापना
3. हर पांच साल में पंचायतों के नियमित चुनाव
4. अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटों का आरक्षण
5. महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण
6. पंचायतों की निधियों में सुधार के लिए उपाय सुझाने हेतु राज्य वित्ता आयोगों का गठन
7. राज्य चुनाव आयोग का गठन
8. 73वां संशोधन अधिनियम पंचायतों को स्वशासन की संस्थाओं के रूप में काम करने हेतु आवश्यक शक्तियां और अधिकार प्रदान करने के लिए राज्य सरकार को अधिकार प्रदान करता है। ये शक्तियां और अधिकार इस प्रकार हो सकते हैं:
9. संविधान की गयारहवीं अनुसूची में सूचीबध्द 29 विषयों के संबंध में आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं तैयार करना और उनका निष्पादन करना
10. कर, डयूटीज, टॉल, शुल्क आदि लगाने और उसे वसूल करने का पंचायतों को अधिकार
11. राज्यों द्वारा एकत्र करों, डयूटियों, टॉल और शुल्कों का पंचायतों को हस्तांतरण
पंचायती राज से संबंधित महत्वपूर्ण अनुच्छेद
पंचायती राज से सम्बंधित विभिन्न अधिनियम : -
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2- e/; izns”k iapk;r ¼cSBd iz.kkyh o dk;Z-O;kikj lapkyu½ fu;e] 1994(
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4- e/; izns”k iapk;r ¼izfr;ka ,oa vfHkys[k fujh{k.k½ fu;e] 1995(
5- e/; izns”k iapk;r fuokZpu fu;e] 1995(
6- e/; izns”k xzke iapk;r vfuok;Z dj o 'kqYd ¼”krsaZ o viokn½ fu;e] 1996(
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9- e/; izns”k tuin iapk;r o ftyk iapk;r ¼okf"kZd ys[kk o iz”kklu
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दिलीप भूरिया समिति (1994)
पंचायती राज व्यवस्था मे सुधार हेतु शासन द्वारा1994 में श्री दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई , जिसे "भूरिया समिति" कहा जाता है। भूरिया समिति की महत्वपूर्ण सिफारिशों में अन्य बातों के साथ निम्नलिखित शामिल हैं:
i. योजनाओं को बहुत ही अच्छी तरह से विशेष रूप से जमीनी स्तर और जिला स्तर पर सहभागितापूर्ण लोकतंत्र से संबंधित होना चाहिए।
ii. ग्राम सभा को पुरवा/ग्राम स्तर पर भूमि, वन, जल और वायु प्रबंधन जैसे पारंपरिक कार्यों को करना चाहिए।
iii. जातीय जनसांख्यिकी और भौगोलिक आधार पर राज्य की सीमाओं के पुनर्गठन पर विचार करना चाहिए।
iv. आदिवासी क्षेत्रों को उप राज्य का दर्जा दिए जाने पर जनजातीय आकांक्षाओं को संतुष्ट किया जा सकता है। भारत की केंद्रीय आदिवासी पट्टियों में जिलों को स्वायत्त जिला परिषद का दर्जा देने का कार्य उप-संघवाद की प्रकृति में किया जाएगा।
v. भूमि अधिग्रहण कानून की बुनियादी कमियों को हटाया जाए। स्थानीय ग्राम समुदाय की सहमति अनिवार्य होनी चाहिए। पुनर्वास संकुल को स्थानीय गॉंव समुदाय की सहमति से संचालित किया जाना चाहिए। प्रभावित परिवारों को पुनर्वास के एक साधन के रूप में आजीविका के व्यवहार्य और स्वीकार्य संकुल की पेशकश की जानी चाहिए।
vi. स्वायत्त जिलों में तैनात विभागों के कर्मचारियों/सरकारी पदाधिकारियों को जिला परिषदों के नियंत्रण में रखा जाना चाहिए।
vii. आर्थिक संसाधनों को आदिवासी समुदाय की देखरेख में माना जाना चाहिए। जिलों और अन्य परिषदों को उद्योगों के लिए भूमि के नियमन और अन्य संसाधनों के लिए उचित कानून बनाने चाहिए।
पेसा, 1996:- 1995 में प्रस्तुत, भूरिया समिति की रिपोर्ट के आधार पर, संसद ने प्रति संविधान के अनुच्छेद 243 ड में निर्दिष्ट पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में इसकी प्रयोज्यता के लिए पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों के लिए विस्तार) (पेसा) अधिनियम, 1996 के प्रावधान लागू किया।
पेसा अधिनियम की मुख्य विशेषताएं
ग्राम सभा इनकी रक्षा और संरक्षा करने के लिए "सक्षम" है
क) लोगों की परंपराएं और रीति-रिवाज, और उनकी सांस्कृतिक पहचान,
ख) समुदाय के संसाधन, और
ग) विवाद समाधान का परंपरागत तरीका [धारा 4 (घ)]
ग्राम सभा के निम्नलिखित अनिवार्य कार्यकारी कार्य होंगे
उचित स्तर पर ग्राम सभा/पंचायत के लिए विशेष शक्तियां
i) भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और विस्थापित व्यक्तियोंकेपुनर्वास में अनिवार्य परामर्श का अधिकार [धारा4 (झ)]
ii) एक उचित स्तर पर पंचायत को लघु जल निकायों की योजना और प्रबंधन का कार्य सौंपा गया है [धारा 4 (ञ)]
iii) एक उचित स्तर की ग्राम सभा या पंचायत द्वारा द्वारा खान और खनिजों के लिए संभावित लाइसेंस/पट्टा, रियायतें देने के लिए अनिवार्य सिफारिशें [ धारा 4 (ट), (1)]
उचित स्तर पर ग्राम सभा और पंचायत को सौंपी गई शक्तियां
i. मादक द्रव्यों की बिक्री/सेवन को विनियमित करना धारा 4 (ड) (i)]
ii. लघु वनोपजों का स्वामित्व धारा 4 (ड)(v)]
iii. भूमि हस्तान्तरण को रोकना और हस्तांतरित भूमि को बहाल करना धारा 4(ड) (iii)]
iv. ग्रामीण हाटों का प्रबंधन [धारा4 (ड) (iv)]
v. अनुसूचित जन जातियों के लिए महाजनी पर नियंत्रण [धारा4 (ड) v)]
vi. सामाजिक क्षेत्र में कार्यकर्ताओं और संस्थाओं, जनजातीय उप योजना और संसाधनों सहित स्थानीय योजनाओं पर नियंत्रण [धारा 4 (ड) (vi)(vii)]
त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था
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जिनका विवरण निम्न प्रकार है –
· ग्राम पंचायत ( Gram Panchayat ) :-
1000 से अधिक आबादी वाले xk¡o ds fy, ,d xzke iapk;r cukbZ tkrh gSA blesa fuokZfpr iap vkSj ljiap gksrs gSaA ljiap xk¡o dk eqf[k;k gksrk gSA gj xzke iapk;r ds bykds dks de ls de 10 vkSj vf/kd ls vf/kd 20 okMksaZ esa ck¡Vk tkrk gSA इस तरह ग्राम पंचायत के सदस्यों की संख्या न्यूनतम 10 व अधिकतम 20 हो सकती है | okMZ xzke iapk;r ds pquko {ks= gksrs gSa vkSj gj okMZ ls ,d iap pquk tkrk gSA xzke lHkk ,d lkekU; laLFkk gS] tcfd xzke iapk;r ,d dk;Zikyu vkSj fuokZfpr laLFkkA dk;Zdkfj.kh dks lkekU; laLFkk }kjk fn, x, funsZ”kksa ds vuqlkj vius dÙkZO;ksa dk ikyu djuk gksrk gSA ग्राम पंचायत में -
§ समस्त ग्रामवासी मतदाता होते है।
§ पंचायत सचिव , पंचायत द्वारा नियुक्त शासकीय कर्मचारी होता है।
§ सरपंच, उपसरपंच को अविश्वास प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है।
§ इसका मुखिया सरपंच व सदस्य पंच प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा व उप-सरपंच अप्रत्यक्ष रूप से पंचों द्वारा निर्वाचित होते है।
§ ग्राम पंचायते अपने गाव की सफाई, पेयजल व्यवस्थ, प्रकाष व्यवस्था, आगनवाड़ियो का संचालन, ग्रामीण विकास कार्यक्रमो की निगरानी आदि का कार्य करती है।
§ Right To Recall का अधिकार जनता को दिया जाता है। जिसमें सरपंच निर्वाचित होने के 2 बर्ष के बाद 2/3बहुमत द्वारा उसे हटाया जा सकता है !
§ वर्तमान में पंचायतो की सबसे बड़ी समस्या वित की कमी है।
· जनपद पंचायत ( Janpad Panchayat )
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§ सदस्य संख्या न्यूनतम 10 व अधिकतम 25 हो सकती है !
§ यह मध्य स्तर है , जिसका गठन विकासखण्ड पर होता है।
§ 5 हजार से अधिक आबादी वाले विकासखण्ड में एक जनपद पंचायत का गठन किया जाता है।
§ सदस्यो का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा जबकि अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से सदस्यो द्वारा किया जाता है।
§ इसके अतिरिक्त इसके पदेन सदस्य के रूप में, सांसद , सरपंच ओैर विधायक होते हे !
§ सहकारी बैकों का अध्यक्ष सहयोजित सदस्य होता है।
§ जनपद पंचायत का मुख्य प्रशासकीय अधिकारी CEO होता जो राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित अधिकारी होता है !
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§ सदस्य संख्या न्यूनतम 10 व अधिकतम 35 हो सकती है !
§ 50 हजार या अधिक आबादी वाले क्षेत्र में एक जिला पंचायत का गठन किया जाता है !
§ सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से व अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का निर्वाचन सदस्यो द्वारा अप्रत्क्ष रूप से किया जाता है।
§ इसके पदेन सदस्य के रूप मे जनदप पंचायत के अध्यक्ष , विधायक व सांसद होते है।
§ कलेक्टर भी पदेन सदस्य होता है ।
§ अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का निर्वाचन सदस्यो द्वारा अप्रत्क्ष रूप से किया जाता है।
§ कार्यकारी अधिकारी एक IAS होता है। जो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
· ग्राम सभा :-
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ग्राम सभा के महत्वा को समझते हुए राज्य सरकारों से आग्रह किया गया है कि वे:-
A. पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 में उल्लिखित प्रावधानों के अनुसार ग्राम सभा को शक्तियां प्रदान करें।
B. गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अवसर पर देश भर में ग्राम सभा की बैठकों के आयोजन के लिए पंचायती राज कानून में अनिवार्य प्रावधान शामिल करना।
C. पंचायती राज अधिनियम में ऐसा अनिवार्य प्रावधान जोड़ना जो विशेषकर ग्राम सभा की बैठकों के कोरम, सामान्य बैठकों और विशेष बैठकों तथा कोरम पूरा न हो पाने के कारण फिर से बैठक के आयोजन के संबंध में हो।
D. ग्राम सभा के सदस्यों को उनके अधिकारों और शक्तियों से अवगत कराना ताकि जन भागीदारी सुनिश्चित हो और विशेषकर महिलाओं तथा अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों जैसे सीमांतीकृत समूह भाग ले सकें।
E. ग्राम सभा के लिए ऐसी कार्य-प्रक्रियाएं बनाना जिनके द्वारा वह ग्राम विकास मंत्रालय के लाभार्थी-उन्मुख विकास कार्यक्रमों का असरकारी ढंग़ से सामाजिक ऑडिट सुनिश्चित कर सके तथा वित्तीय कुप्रबंधन के लिए वसूली या सजा देने के कानूनी अधिकार उसे प्राप्त हो सकें।
F. ग्राम सभा बैठकों के संबंध में व्यापक प्रसार के लिए कार्य-योजना बनाना।
G. ग्राम सभा की बैठकों के आयोजन के लिए मार्ग-निर्देश/कार्य-प्रक्रियाएं तैयार करना।
H. प्राकृतिक संसाधनों, भूमि रिकार्डों पर नियंत्रण और समस्या-समाधान के संबंध में ग्राम सभा के अधिकारों को लेकर जागरूकता पैदा करना।
I. 73वां संविधान संशोधन अधिनियम ग्राम स्तर पर स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में ऐसी सशक्त पंचायतों की परिकल्पना करता है जो निम्न कार्य करने में सक्षम हो:
J. ग्राम स्तर पर जन विकास कार्यों और उनके रख-रखाव की योजना बनाना और उन्हें पूरा करना।
K. ग्राम स्तर पर लोगों का कल्याण सुनिश्चित करना, इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, समुदाय भाईचारा, विशेषकर जेंडर और जाति-आधारित भेदभाव के संबंध में सामाजिक न्याय, झगड़ों का निबटारा, बच्चों का विशेषकर बालिकाओं का कल्याण जैसे मुद्दे होंगे।
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5- ग्राम सभा को ग्राम पंचायत के अधीन किसी भी समिति की जाँच करने का अधिकार होता है |
पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य (म. प्र. के सन्दर्भ में )
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§ 73 वाँ संविधान संशोधन लागू करने वाला म.प्र. प्रथम राज्य था।
§ मध्य प्रदेश पंचायती राज अधिनियम के अंतर्गत मध्य प्रदेश में प्रथम चुनाब मार्च – अप्रैल 1994 में हुऐ !
§ 1907 में सर्वप्रथम दतिया में नगरपालिका का गठन किया गया था !
§ 1929 में इंदौर , ग्वालियर , एवं नरसिंहगढ में पंचायते स्थापित की गई !
§ तीनों स्तरों पर SC , ST , OBC व महिलाओं के लिये आरक्षण की भी व्यवस्था की गई है
§ वर्तमान म.प्र. में ग्राम पंचायतो की संख्या 23,012 है।
§ वर्तमान मध्यप्रदेश में 313 जनपद पंचायतें हैं !
§ वर्तमान मध्यप्रदेश में 51 जिला पंचायतें हैं !
§ म.प्र. पहला राज्य है जिसमें स्थानीय निकायो में Right To Recall का प्रावधान किया है।
इसका प्रथम प्रयोग शहडोल जिले की अनुपपूर तहसील का पल्लविका पटेल को इसी अधिकार द्वारा जनता द्वारा हटाया गया था
§ चुनाव संबंधी कार्यों के लिये 19 जनवरी 1994 को मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग का गठनकिया गया ! जो इन तीनों स्तरों के चुनाव का कार्य करवाता है ! मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग के प्रथम अध्यक्ष M. B. लौहानी थे !
§ मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग के वर्तमान अध्यक्ष आर. परशुराम हैं !
§ मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग के वर्तमान सचिव सुनीता त्रिपाठी हैं !
§ पंचायतों को राज्य शासन से वित्त उपलब्ध करानें हेतु मध्य – प्रदेश वित्त आयोग का गठन प्रत्येक 5 बर्ष के अंतराल पर किया जाता है !
§ मध्यप्रदेश सरकार के वित्त विभाग ने पांचवें राज्य वित्त आयोग का गठन 2017 में किया है। आयोग के अध्यक्ष के तौर पर वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी को अध्यक्ष और मिलिंद वाईकर को सदस्य सचिव की भूमिका दी गई है।
§ 25 जनबरी को प्रतिदिन मतदाता दिबस मनाया जाता है !
§ 26 जनवरी 2001 से ग्राम स्वराज योजना लागू की गई !
§ e- iz- esa महिलाओं के लिए ग्राम पंचायत में 50% lhV आरक्षित की गईं gSaA
पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर :-
1. पंचायती राज का मुख्य उद्देश्य क्या है ? :- जनता को प्रशासन में भागीदारी योग्य बनाना
2. किसकी सिफारिश पर भारत में पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना की गई ?
:- बलवंत राय मेहता समिति
3. पंचायती राज व्यवस्था किस पर आधारित है :- सत्ता के विकेंद्रीकरण पर
4. संविधान के किस भाग में पंचायती राज व्यवस्था का वर्णन है ? :- भाग-9
5. किसके अंतर्गत पंचायती राज व्यवस्था का वर्णन है ? :- नीति-निर्देशक सिद्धांत
6. पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचन हेतु कौन उत्तरदायी है ? :- राज्य निर्वाचन आयोग
7. देश के सामाजिक व सांस्कृतिक उत्स्थान के लिए कौन-सा कार्यक्रम चलाया गया ?
ans :- सामुदायिक विकास कार्यक्रम
8. भारत में सामुदायिक विकास कार्यक्रम कब आरंभ हुआ ? :- 2 अक्टूबर, 1952
9. पंचायती राज की सबसे छोटी इकाई क्या है ? :- ग्राम पंचायत
10. बलवंत राय समिति के प्रतिवेदन के अनुसार महत्वपूर्ण संस्था कौन-सी है ? :- पंचायत समिति/tuin iapk;r
11. पंचायती राज संस्थाओं के संगठन के दो स्तर होने का सुझाव किसने दिया था ?
:- अशोक मेहता समिति
12. पंचायत स्तर पर राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कौन करता है ? :- ग्राम प्रधान
13. पंचायती राज विषय किस सूची में है ?:- राज्य सूची में
14. किस संशोधन में महिलाओं के लिए ग्राम पंचायत में एक-तिहाई सीटें आरक्षित की गईं ?
:- 73वें संशोधन में
15. पंचायत चुनाव के लिए उम्मीदवार की आयु कितनी होनी चाहिए ? :- 21 वर्ष
16. पंचायती राज संस्थाएँ अपनी निधि हेतु किस पर निर्भर हैं ? :- सरकारी अनुदान पर
17. एक विकास खंड पर पंचायत समति कैसी होती है ? :- एक प्रशासकीय अभिकरण
18. भारत में पहला नगर निगम कहाँ स्थापित हुआ ? :- चेन्नई
19. ग्राम पंचायतों की आय का स्त्रोत क्या है ? :- मेला व बाजार कर
20. पंचायती राज संस्था का कार्यकाल कितना होता है ? :- 5 वर्ष
21. 73वें संविधान संशोधन में पचायती राज संस्थाओं के लिए किस प्रकार के चुनाव का प्रावधान किया गया ? :- प्रत्यक्ष एवं गुप्त मतदान
22. पंचायत के चुनाव हेतु निर्णय कौन लेता है ? :- राज्य सरकार
23. पंचायत समिति की गठन किस स्तर पर होता है ? :- प्रखंड स्तर पर
24. यदि पंचायत को भंग किया जाता है तो पुनः निर्वाचन कितने समय के अंदर आवश्यक है ?
:- 6 माह
25. संविधान के किस भाग में पंचायती राज व्यवस्था का वर्णन है— भाग-9
26. पंचायती राज व्यवस्था किस पर आधारित है— सत्ता के विकेंद्रीकरण पर
27. पंचायती राज का मुख्य उद्देश्य क्या है— जनता को प्रशासन में भागीदारी योग्य बनाना
28. किसके अंतर्गत पंचायती राज व्यवस्था का वर्णन है— नीति-निर्देशक सिद्धांत
29. संविधान के किस संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया है—73 वें संशोधन
30. 73 वें संशोधन में कौन-सी अनुसूची जोड़ी गई हैं— 11वीं
31. पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचन हेतु कौन उत्तरदायी है— राज्य निर्वाचन आयोग
32. भारत में पंचायती राज अधिनियम कब लागू हुआ— 25 अप्रैल, 1993
33. सर्वप्रथम पंचायती राज व्यवस्था कहाँ लागू की गई— नागौर, राजस्थान में
34. राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था कहाँ लागू की गई— 1959 को
35. देश के सामाजिक व सांस्कृतिक उत्स्थान के लिए dkSu lk dk;Zdze चलाया गया—
सामुदायिक विकास कार्यक्रम
36. भारत में सामुदायिक विकास कार्यक्रम कब आरंभ हुआ— 2 अक्टूबर, 1952
37. किसकी सिफारिश पर भारत में पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना की गई—
बलवंत राय मेहता समिति
38. बलवंत राय समिति के प्रतिवेदन के अनुसार महत्वपूर्ण संस्था कौन-सी है— पंचायत समिति
39. पंचायती राज संस्थाओं के संगठन के दो स्तर होने का सुझाव किसने दिया था— अशोक मेहता समिति
40. पंचायत स्तर पर राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कौन करता है— ग्राम प्रधान
41. पंचायती राज विषय किस सूची में है— राज्य सूची मे
42. किस संशोधन में महिलाओं के लिए ग्राम पंचायत में एक-तिहाई सीटें आरक्षित की गईं— 73वें संशोधन में
43. पंचायत चुनाव के लिए उम्मीदवार की आयु कितनी होनी चाहिए— 21 वर्ष
44. पंचायती राज संस्थाएँ अपनी निधि हेतु किस पर निर्भर हैं— सरकारी अनुदान पर
45. एक विकास खंड पर पंचायत समति कैसी होती है— एक प्रशासकीय अभिकरण
46. भारत में पहला नगर निगम कहाँ स्थापित हुआ— चेन्नई
47. ग्राम पंचायतों की आय का स्त्रोत क्या है— मेला व बाजार कर
48. किस राज्य में पंचायती राज प्रणाली नहीं है— अरुणाचल प्रदेश में
49. पंचायती राज प्रणाली में ग्राम पंचायत का गठन किस स्तर पर होता है— ग्राम स्तर पर
50. पंचायती राज संस्था का कार्यकाल कितना होता है— 5 वर्ष
51. 73वें संविधान संशोधन में पचायती राज संस्थाओं के लिए किस प्रकार के चुनाव का प्रावधान किया गया— प्रत्यक्ष एवं गुप्त मतदान
52. पंचायत के चुनाव हेतु निर्णय कौन लेता है— राज्य सरकार
53. पंचायत समिति की गठन किस स्तर पर होता है— प्रखंड स्तर पर
54. यदि पंचायत को भंग किया जाता है तो पुनः निर्वाचन कितने समय के अंदर आवश्यक है— 6 माह
55. लार्ड रिपन को भारत में स्थानीय स्वशासन का जनक माना जाता है !
56. भारत के संविधान के नीति निदेशक तत्वों के अंतर्गत अनुच्छेद 40 में यह निर्देश है कि “राज्य ग्राम पंचायतों का संगठन करेगा और उनको एसी शक्तियाँ और प्राधिकार प्रदान करेगा जो उन्हें स्वायत्त शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक हों. इस निर्देश के अनुसरण में भारत सरकार ने 73वें संविधान (संशोधन) अधिनियम, 1992 द्वारा पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया और भाग 9 में इसके लिए उपबंध किया है.संविधान के भाग 9 में अनुच्छेद 243 के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के बारे में उपबंध किया गया है !
57. 2 अक्तूबर, 1952 को सामुदायिक विकास कार्यक्रम तथा 2 अक्तूबर 1953 को राष्ट्रीय प्रसार सेवा कार्यक्रम प्रारंभ किए गए, परन्तु दोनो ही कार्यक्रमों अपेक्षित सफलता नहीँ मिली !
58. सामुदायिक विकास कार्यक्रम की जांच के लिए केंद्र सरकार ने 1957 मेँ बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता मेँ एक अध्ययन दल का गठन किया। इस दल ने 1957 के अंत मेँ अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की, कि लोकतांत्रिक विकेंद्रीयकरण और सामुदायिक कार्यक्रम को सफल बनाने हैतु पंचायत राज्य संस्थाओं की अविलम्ब शुरुआत की जानी चाहिए। अध्ययन दल ने इसे लोकतांत्रिक विकेंद्रीयकरण का नाम दिया।
59. पंचायती राज का शुभारंभ भारत में 2 Oct. 1959 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जबाहर लाल नेहरू द्वारा राज्स्थान के नागौर जिले से हुआ !
60. 11 Oct. 1959 को पं नेहरू ने आंध्रप्रदेश राज्य में पंचायती राज का शुभारंभ किया !
61. पंचायती राज की सबसे छोटी इकाई क्या है— ग्राम पंचायत
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Wednesday, March 21, 2018
भारत में पंचायती राज
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इस ब्लॉग का उद्धेश्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे प्रतियोगियों को अधिक से अधिक जानकारी एवं नोट्स उपलब्ध कराना है. यह जानकारी विभिन्न स्रोतों से एकत्रित की गई हो सकती है इस पर हमारा कोई कॉपीराइट नहीं है.
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